जेयू की बायोकेमिस्ट्री प्रोफेसर व शोध छात्रा ने फलों के एक्स्ट्रैक्ट से किया कीटनाशक के प्रभाव को कम

 

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की बायोकेमिस्ट्री की शोध छात्रा मृदु भदौरिया व प्रोफेसर नलिनी श्रीवास्तव ने अपने शोध में प्राकृतिक फलों द्वारा कीटनाशक के प्रभाव को कम किया है। उन्होंने बताया कि फल,सब्जी और अनाज में लगने वाले कीटों को मारने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होते है। फलों के एक्स्ट्रैक्ट से कीटनाशक के प्रभाव को कम किया जा सकता है यह न सिर्फ फसल के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे बल्कि आपकी सेहत को भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।इसके प्रयोग से फल व सब्जी की फसलों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और लाभदायक कीटों को कोई नुकसान नहीं होगा।कीटनाशक का बहुपयोग संसार में सभी जीवों को जटिल रूप से प्रभावित करता है।एक बार प्रयोग किया गया कीटनाशक कई वर्षाें तक नष्ट नहीं होता है। एवं अनेक रूपों में क्रियाशील जीवों को भिन्न-भिन्न बीमारियों की चपेट में ले लेता है।

जेयू की बायोकेमिस्ट्री की प्रोफेसर डॉ. नलिनी श्रीवास्तव एवं शोध छात्रा मृदु भदौरिया ने आंवला,हरड़,बहेड़ा की मदद से एक्स्ट्रैक्ट तैयार किया है,जो कीटनाशक के प्रभाव को कम करेगा।

कैसे तैयार किया जाता है :-

तीन प्राकृतिक फल आंवला(फिलैथस एम्बलिका),हरड़(टर्मिनेलिया छेबुला) और बहेड़ा(टर्मिनेलिया बेलेरिका)के फल को कीटनाशक द्वारा रैट की कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) में टेस्ट किया गया है। कीटनाशक क्लाॅरपायरिफाॅस क्यूनाॅलफाॅस को रैट की कोशिकाओं को अलग-अलग डोज और समय अवधि में टेस्ट किया गया जिसमें डोज और समय अवधि की अधिकता का कुप्रभाव देखने को मिला।

इसी के साथ जब इन फलों के एक्सट्रैक्ट को कोशिकाओं (रैट)को दिया गया तब कीटनाशक के प्रभाव को कम पाया गया।विभिन्न पैरामीटर द्वारा साॅफ्टवेयर एनालिसिस द्वारा पाया गया कि यह तीनों फलों के एक्सट्रैक्ट का कोशिकाओं पर फलित प्रभाव है एवं इनको स्वास्थ कल्याण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

 

जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की प्रोफेसर डॉ.नलिनी श्रीवास्तव का कहना है कि, प्राकृतिक फलों के एक्स्ट्रैक्ट से कीटनाशक के प्रभाव को कम किया जा सकता है।फल,सब्जी व अनाज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसका वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

शोध छात्रा मृदु भदौरिया ने बताया कि प्रयोगशाला में शोध कार्य के बाद फलों के एक्स्ट्रैक्ट को कोशिकाओं को दिया गया तब कीटनाशक के प्रभाव को कम पाया गया। स्वास्थ्य कल्याण के लिए इसको उपयोग में लाया जा सकता है इसका प्रयोग सफल रहा।